Sunday 4 March 2012

यूँही नही भीगने लगी...उसने कुछ तो सोचा होगा !


शायद बारिशों ने उसके बदन को यूँ छुआ होगा,
एहसास-ऐ-इश्क भी कोई मंजर है यारों,
उसने कुछ तो सोचा होगा,
उसने कुछ तो सोचा होगा !
शायद निगाहों ने उसे इशारा किया होगा,
ख्वाब यूहीं नहीं पलते पलकों  पे  यारों,
उसने कुछ तो सोचा होगा,
उसने कुछ तो सोचा होगा !
शायद होटों ने उसे उकसाया होगा,
मुस्कराहट यूहीं नहीं छलती यारों,
उसने कुछ तो सोचा होगा,
उसने कुछ तो सोचा होगा !
शायद गुलशन ने उसे बहकाया होगा,
क्यूँ खुशबू फ़िदा है हवाओं पे यारों,
उसने कुछ तो सोचा होगा,
उसने कुछ तो सोचा होगा !
शायद इस "अज्ञात" पर उसे विशवास होगा,
वरना राहें भी बड़ी शातिर होती है यारों,
उसने कुछ तो सोचा होगा,
उसने कुछ तो सोचा होगा.,,,,अरुण "अज्ञात" पंचोली

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