Monday 13 March 2017

Tips To Remove Holi Colors: अब बिंदास खेलो होली

चुनाव का खुमार अब उतर चूका है और देश पर अब होली का रंग चढ़ने वाला है. होली देश के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है, ऐसे में पूरा देश होली खेलने की तैयारी कर रहा है.
होली खेलना में मजा भी बहुत आता है, लेकिन यह सब मजा उस समय गायब हो जाता है जब कोई केमिकल युक्त रंग आप पर डाल दे और उससे आपकी त्वचा और बालों को नुकसान पहुँचता है. ऐसे में होली के दिन अपनी त्वचा को रंगों से बचने के लिए हम आपको कुछ टिप्स देते है.

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होली घर के बाहर मनाया जाने वाला त्यौहार है वो भी दिन में. ऐसे में होली खेलने से आधे घंटे पहले सनस्क्रीन लोशन अपने पूरे शरीर पर लगाएं, जिससे आपकी त्वचा को धूप से नुकसान नहीं होगा.

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रंगों से बालों को बचाने के लिए हेयर क्रीम इस्तेमाल करे. हाथ पैरों और चेहरे पर अच्छी तरह माईस्चराइजर का उपयोग करें.

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अगर बालों में हेयर क्रीम इस्तेमाल न करना चाहे तो नारियल तेल का इस्तेमाल करे.

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होलीखेलने के दौरान अपने बालों को खुला न छोड़े.
* होली के दिन हलके कपडे पहने, ताकि आराम से होली खेल पाएं.

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होली के दिन आप चश्मा भी पहन सकते हो. इससे आपकी आंखे और रंगों से सुरक्षित रहेगी और यह फैशन का काम भी करेगा.

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होली खेलने के बाद वैसे तो रंग आसानी से निकल जाता है, लेकिन कुछ रंग बच जाता है तो उस पर क्रीम लगाकर कुछ समय बाद उसे गीली रुई की मदद से निकाल लें.

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इसके अलावा रंग निकालने के लिए आप बेसन या स्क्रब की मसाज का इस्तेमाल भी कर सकते हो.

  
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Sunday 12 March 2017

Holi Celebration In India: मुबारक हो प्रेम और भाईचारे की होली

holi celebration

होली भारत में मनाया जाने वाला दूसरा बड़ा त्यौहार है. यह एक ऐसा त्यौहार है जिसमे हर तरफ रंग बिखरे हुए नजर आते है. साथ ही बच्चे हो या बड़े सभी इस त्यौहार को बड़ी ही धूम धाम से मनाते है. कहते है कि होली एक ऐसा त्यौहार है जिसमे दुश्मन भी अपनी दुश्मनी भूलकर दोस्त बन जाते है.

और इस त्यौहार में सब अपने पुराने गीले सिकवे भूलकर एक दूसरे को रंग लगाकर अपनी ख़ुशी बयां करते है. होली के त्यौहार को वैसे तो सदियो से मनाया जा रहा है. इसके पीछे एक बड़ी ही पुराणी कथा है. कहते है कि दुष्ट राजा हिरणाकश्यप ने भगवान विष्णु के भक्त अपने बेटे प्रह्लाद को कई बार मारने का प्रयास कर चूका था एक बार उसने अपनी बहन होलिका से कहा कि वो प्रह्लाद को लेकर जलती हुई अग्नि में बैठ जाये.


और होलिका ने भी अपने भाई के आदेश का पालन किया. क्योकि होलिका के पास एक ऐसी चादर थी जिससे कि वो आग से भी जल नहीं सकती थी.लेकिन भगवान् विष्णु की एक ऐसी कृपा हुई की चादर उड़कर प्रह्लाद पर आ गई और होलिका अग्नी में जलगाई और प्रह्लाद बच गया. तभी से होली का त्यौहार मनाया जाता है.

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