Saturday 24 September 2016

वैश्यावृत्ति : मज़बूरी का शिकार या पापी प्यासी हवस


हम कई बार दबे छुपे शब्दों में उसका जिक्र करते है, प्रायः आदमी की दबी इच्छा उसके जिस्म को पाने की होती है... वह भी अपनी कामुक काया को परोसकर अपना पापी पेट पालती है. औरतें भी छुपकर उसके बारे में गॉसिप करने से बाज़ नहीं आती ! फिर भी इस सभ्य समाज में उसका नाम लेने से लब कांपते है, दिल थर्राता है, वो नाम है वैश्या....कॉलगर्ल....सेक्स वर्कर और न जाने कितने ऐसे नाम ? हर ख़ास और आम ये बात जानने की उत्कंठा रखता है कि ये कितने प्रकार की होती है ? ऐसी ही एक नारी की जुबानी हम आपको इस पेशे से रूबरू कराते है.

होम बेस्ड:- ये वो सेक्स वर्कर होती है जो अपने घरों में छिपकर धंधा चलाती है. प्रोफेशनल भाषा में इनको हिडन पापुलेशन कहा जाता है, यहाँ तक कि इनके आसपास के लोगो को भी इनकी भनक नहीं लगती, इनका काम होता है “चोरी-चोरी, चुपके-चुपके”.

स्ट्रीट बेस्ड:- ये वो वैश्याएँ होती है जो गलियों और सडको पर पाई जाती है, ये गलियां और सड़कें ही इनका पिक पॉइंट होता है. उदहारण के तौर पर देश की राजधानी दिल्ली का “रेड लाइट एरिया” जहां पर इनकी भरमार है.


हाईवे बेस्ड:- इस केटेगरी में वे वेश्याएं आती है, जो हाईवे या रोड पर मिलती है. खुले बाल, डार्क लिपस्टिक, शोख़ रंग के कपड़ों में सजी होती है. ड्राईवर इनके आसान शिकार होते है, इस कारण इनको HRG (हाई रिस्क ग्रुप) भी कहा जाता है. मंदसौर-नीमुच हाईवे पर इनकी भरमार है.

ढाबा बेस्ड:- ये वे सेक्स वर्कर है जो प्रायः ढाबों में पाई जाती है.... रंग-बिरंगे कपड़े,गहरा मेकअप व् शोख़ अदाओं के साथ ये ढाबों पर बैठी रहती है और वहीँ सौदा तय करती है.


होटल बेस्ड:- इस श्रेणी में वे महिलाऐ आती है जो होटल्स में पाई जाती है या कई बार होटल मालिक व् होटल के कर्मचारी इन सेक्स वर्कर्स को प्रोवाइड कराते है और अपने होटल रूम्स के एक्स्ट्रा चार्ज भी वसूलते है. कई बार अश्लील cd बनाकर भी उनके धंधे को चार चाँद लगा देते है, मतलब “आम के आम,गुट्लियों के दाम”.

कोठा बेस्ड:- इस केटेगरी में वे मासूम लड़कियां आती है जिनको धोखे से या किडनेपिंग या मज़बूरी में इस धंधे में उतारा जाता है. कोठे की मालकिन ही इन लड़कियों की मालकिन होती है जो इन दड़बेनुमा कमरों में इन गर्ल्स को रखकर इनसे ग्राहक पटवाती है और देह व्यापार करने को विवश करवाती है.



ट्रेडिशनल बेस्ड:- कई समाज जिनमे बाछड़ा व् बेड़िया समाजआदि शामिल है, उनमे परम्परागत देह व्यापार का व्यवसाय किया जाता है. इन परिवारों में लडकियां होने पर उत्साह मनाया जाता है. पारिवारिक सदस्य ही इनके दलाल होते है. परम्परागत देह व्यापार होने से यहाँ पर धंधा करना शर्म का विषय नहीं होता है.

पार्लर बेस्ड:- कई बार ब्यूटी पार्लर या मसाज पार्लर में भी इस तरह का देह व्यापार किया जाता है. मसाज के साथ-साथ देह उपलब्ध कराने के एक्स्ट्रा चार्ज लगते है. कई शौक़ीन मर्द भी यहाँ आते-जाते रहते है, जिनको अक्सर मुहं छुपाते हुए पुलिस की गिरफ़्त में खबरों के माध्यम से देखा जाता है.



कॉलगर्ल और बारगर्ल:- कॉलगर्ल वो होती है जो हाई प्रोफाइल सेक्स रैकेट से जुडी रहती है. इन्हें कॉल करके बुलाया जाता है, इन महिलाओं में मॉडल्स,कॉलेज गर्ल्स,स्ट्रगलिंग एक्ट्रेस,हाउस वाइफ आदि आती है, जो अपनी असीमित आवश्यकताओं के चलते इस पेशे से जुड़ जाती है, जिनकी पहचान छुपी  रहती है. इसी प्रकार बारगर्ल्स भी बार में काम करते-करते इस तरह के धंधे से जुड़ जाती है.




ऐसा नहीं है कि यह कोई महिलाओं की विशेष प्रजातियाँ है, कोई भी नारी माँ की कोख़ से वैश्या बनकर जन्म नहीं लेती,बल्कि सदियों से पुरुषों की घृणित मानसिकता का शिकार होकर कभी नगर वधु तो कभी देवदासी और कभी तवायफ़ तो कभी वैश्या बनकर उनकी वासना का शिकार बनती है. बदलाव महिलाओं में नहीं, पुरुषों की सोच में होना चाहिए ताकि इस तरह के धधों पर विराम लग सके...”फ़ैसला आपका” 

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हम कई बार दबे छुपे शब्दों में उसका जिक्र करते है, प्रायः आदमी की दबी इच्छा उसके जिस्म को पाने की होती है... वह भी अपनी कामुक काया को परोसकर अपना पापी पेट पालती है. औरतें भी छुपकर उसके बारे में गॉसिप करने से बाज़ नहीं आती ! फिर भी इस सभ्य समाज में उसका नाम लेने से लब कांपते है, दिल थर्राता है, वो नाम है वैश्या....कॉलगर्ल....सेक्स वर्कर और न जाने कितने ऐसे नाम ? हर ख़ास और आम ये बात जानने की उत्कंठा रखता है कि ये कितने प्रकार की होती है ? ऐसी ही एक नारी की जुबानी हम आपको इस पेशे से रूबरू कराते है.

होम बेस्ड:- ये वो सेक्स वर्कर होती है जो अपने घरों में छिपकर धंधा चलाती है. प्रोफेशनल भाषा में इनको हिडन पापुलेशन कहा जाता है, यहाँ तक कि इनके आसपास के लोगो को भी इनकी भनक नहीं लगती, इनका काम होता है “चोरी-चोरी, चुपके-चुपके”.

स्ट्रीट बेस्ड:- ये वो वैश्याएँ होती है जो गलियों और सडको पर पाई जाती है, ये गलियां और सड़कें ही इनका पिक पॉइंट होता है. उदहारण के तौर पर देश की राजधानी दिल्ली का “रेड लाइट एरिया” जहां पर इनकी भरमार है.


हाईवे बेस्ड:- इस केटेगरी में वे वेश्याएं आती है, जो हाईवे या रोड पर मिलती है. खुले बाल, डार्क लिपस्टिक, शोख़ रंग के कपड़ों में सजी होती है. ड्राईवर इनके आसान शिकार होते है, इस कारण इनको HRG (हाई रिस्क ग्रुप) भी कहा जाता है. मंदसौर-नीमुच हाईवे पर इनकी भरमार है.

ढाबा बेस्ड:- ये वे सेक्स वर्कर है जो प्रायः ढाबों में पाई जाती है.... रंग-बिरंगे कपड़े,गहरा मेकअप व् शोख़ अदाओं के साथ ये ढाबों पर बैठी रहती है और वहीँ सौदा तय करती है.


होटल बेस्ड:- इस श्रेणी में वे महिलाऐ आती है जो होटल्स में पाई जाती है या कई बार होटल मालिक व् होटल के कर्मचारी इन सेक्स वर्कर्स को प्रोवाइड कराते है और अपने होटल रूम्स के एक्स्ट्रा चार्ज भी वसूलते है. कई बार अश्लील cd बनाकर भी उनके धंधे को चार चाँद लगा देते है, मतलब “आम के आम,गुट्लियों के दाम”.

कोठा बेस्ड:- इस केटेगरी में वे मासूम लड़कियां आती है जिनको धोखे से या किडनेपिंग या मज़बूरी में इस धंधे में उतारा जाता है. कोठे की मालकिन ही इन लड़कियों की मालकिन होती है जो इन दड़बेनुमा कमरों में इन गर्ल्स को रखकर इनसे ग्राहक पटवाती है और देह व्यापार करने को विवश करवाती है.



ट्रेडिशनल बेस्ड:- कई समाज जिनमे बाछड़ा व् बेड़िया समाजआदि शामिल है, उनमे परम्परागत देह व्यापार का व्यवसाय किया जाता है. इन परिवारों में लडकियां होने पर उत्साह मनाया जाता है. पारिवारिक सदस्य ही इनके दलाल होते है. परम्परागत देह व्यापार होने से यहाँ पर धंधा करना शर्म का विषय नहीं होता है.

पार्लर बेस्ड:- कई बार ब्यूटी पार्लर या मसाज पार्लर में भी इस तरह का देह व्यापार किया जाता है. मसाज के साथ-साथ देह उपलब्ध कराने के एक्स्ट्रा चार्ज लगते है. कई शौक़ीन मर्द भी यहाँ आते-जाते रहते है, जिनको अक्सर मुहं छुपाते हुए पुलिस की गिरफ़्त में खबरों के माध्यम से देखा जाता है.



कॉलगर्ल और बारगर्ल:- कॉलगर्ल वो होती है जो हाई प्रोफाइल सेक्स रैकेट से जुडी रहती है. इन्हें कॉल करके बुलाया जाता है, इन महिलाओं में मॉडल्स,कॉलेज गर्ल्स,स्ट्रगलिंग एक्ट्रेस,हाउस वाइफ आदि आती है, जो अपनी असीमित आवश्यकताओं के चलते इस पेशे से जुड़ जाती है, जिनकी पहचान छुपी  रहती है. इसी प्रकार बारगर्ल्स भी बार में काम करते-करते इस तरह के धंधे से जुड़ जाती है.




ऐसा नहीं है कि यह कोई महिलाओं की विशेष प्रजातियाँ है, कोई भी नारी माँ की कोख़ से वैश्या बनकर जन्म नहीं लेती,बल्कि सदियों से पुरुषों की घृणित मानसिकता का शिकार होकर कभी नगर वधु तो कभी देवदासी और कभी तवायफ़ तो कभी वैश्या बनकर उनकी वासना का शिकार बनती है. बदलाव महिलाओं में नहीं, पुरुषों की सोच में होना चाहिए ताकि इस तरह के धधों पर विराम लग सके...”फ़ैसला आपका” 

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होम बेस्ड:- ये वो सेक्स वर्कर होती है जो अपने घरों में छिपकर धंधा चलाती है. प्रोफेशनल भाषा में इनको हिडन पापुलेशन कहा जाता है, यहाँ तक कि इनके आसपास के लोगो को भी इनकी भनक नहीं लगती, इनका काम होता है “चोरी-चोरी, चुपके-चुपके”.

स्ट्रीट बेस्ड:- ये वो वैश्याएँ होती है जो गलियों और सडको पर पाई जाती है, ये गलियां और सड़कें ही इनका पिक पॉइंट होता है. उदहारण के तौर पर देश की राजधानी दिल्ली का “रेड लाइट एरिया” जहां पर इनकी भरमार है.


हाईवे बेस्ड:- इस केटेगरी में वे वेश्याएं आती है, जो हाईवे या रोड पर मिलती है. खुले बाल, डार्क लिपस्टिक, शोख़ रंग के कपड़ों में सजी होती है. ड्राईवर इनके आसान शिकार होते है, इस कारण इनको HRG (हाई रिस्क ग्रुप) भी कहा जाता है. मंदसौर-नीमुच हाईवे पर इनकी भरमार है.

ढाबा बेस्ड:- ये वे सेक्स वर्कर है जो प्रायः ढाबों में पाई जाती है.... रंग-बिरंगे कपड़े,गहरा मेकअप व् शोख़ अदाओं के साथ ये ढाबों पर बैठी रहती है और वहीँ सौदा तय करती है.


होटल बेस्ड:- इस श्रेणी में वे महिलाऐ आती है जो होटल्स में पाई जाती है या कई बार होटल मालिक व् होटल के कर्मचारी इन सेक्स वर्कर्स को प्रोवाइड कराते है और अपने होटल रूम्स के एक्स्ट्रा चार्ज भी वसूलते है. कई बार अश्लील cd बनाकर भी उनके धंधे को चार चाँद लगा देते है, मतलब “आम के आम,गुट्लियों के दाम”.

कोठा बेस्ड:- इस केटेगरी में वे मासूम लड़कियां आती है जिनको धोखे से या किडनेपिंग या मज़बूरी में इस धंधे में उतारा जाता है. कोठे की मालकिन ही इन लड़कियों की मालकिन होती है जो इन दड़बेनुमा कमरों में इन गर्ल्स को रखकर इनसे ग्राहक पटवाती है और देह व्यापार करने को विवश करवाती है.



ट्रेडिशनल बेस्ड:- कई समाज जिनमे बाछड़ा व् बेड़िया समाजआदि शामिल है, उनमे परम्परागत देह व्यापार का व्यवसाय किया जाता है. इन परिवारों में लडकियां होने पर उत्साह मनाया जाता है. पारिवारिक सदस्य ही इनके दलाल होते है. परम्परागत देह व्यापार होने से यहाँ पर धंधा करना शर्म का विषय नहीं होता है.

पार्लर बेस्ड:- कई बार ब्यूटी पार्लर या मसाज पार्लर में भी इस तरह का देह व्यापार किया जाता है. मसाज के साथ-साथ देह उपलब्ध कराने के एक्स्ट्रा चार्ज लगते है. कई शौक़ीन मर्द भी यहाँ आते-जाते रहते है, जिनको अक्सर मुहं छुपाते हुए पुलिस की गिरफ़्त में खबरों के माध्यम से देखा जाता है.



कॉलगर्ल और बारगर्ल:- कॉलगर्ल वो होती है जो हाई प्रोफाइल सेक्स रैकेट से जुडी रहती है. इन्हें कॉल करके बुलाया जाता है, इन महिलाओं में मॉडल्स,कॉलेज गर्ल्स,स्ट्रगलिंग एक्ट्रेस,हाउस वाइफ आदि आती है, जो अपनी असीमित आवश्यकताओं के चलते इस पेशे से जुड़ जाती है, जिनकी पहचान छुपी  रहती है. इसी प्रकार बारगर्ल्स भी बार में काम करते-करते इस तरह के धंधे से जुड़ जाती है.




ऐसा नहीं है कि यह कोई महिलाओं की विशेष प्रजातियाँ है, कोई भी नारी माँ की कोख़ से वैश्या बनकर जन्म नहीं लेती,बल्कि सदियों से पुरुषों की घृणित मानसिकता का शिकार होकर कभी नगर वधु तो कभी देवदासी और कभी तवायफ़ तो कभी वैश्या बनकर उनकी वासना का शिकार बनती है. बदलाव महिलाओं में नहीं, पुरुषों की सोच में होना चाहिए ताकि इस तरह के धधों पर विराम लग सके...”फ़ैसला आपका” 

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Monday 19 September 2016

क्या आप जानते है अमित-राजीव की दोस्ती की यह सच्चाई?


दोस्त शब्द जैसी ही हम जुबाँ पर लाते है “ये दोस्ती हम तोड़ेंगे...या बने चाहे दुश्मन ये सारा ज़माना,सलामत रहे दोस्ताना हमारा” ये गाने लबों पर आते है. दोस्ती खुदा की दी हुई एक इनायत है, जो दिल के तारों से जुडी है,एक इबादत है. चोट किसी को लगती है तो, दर्द किसी को होता है. दोस्त वो हमसाया है जो हमेशा हमारे साथ चलता है. दोस्तों आज हम ऐसी ही भूली बिसरी दोस्ती की बात कर रहे है....द लीजेंड बिग बी अमिताभ बच्चन की दोस्ती. 


आप सोच रहे होंगे कि अमिताभ बच्चन का दोस्त कौन, अमरसिंह या हमारे देश के PM मोदी, जिनके गुणगान करने में वो ...”अदभुत आश्चर्य” कहते हुए कभी थकते नहीं, नहीं जनाब हम बात कर रहे है भारतीय राजनीति के महानायक राजीव गाँधी की ! कभी अमित के लंगोटिया यार रहे राजीव सातवें आसमान पर बैठकर ये गाना तो नहीं गुनगुना रहे है...”मेरे दोस्त किस्सा ये क्या हो गया, सुना है कि तू बेवफा हो गया”. 


हमारे बिग बी राजीव गाँधी के लंगोटिया यार रह चुके है.... कहा तो यह भी जाता है कि उनके पिताजी महान कवि श्री हरिवंश राय बच्चन जी के लिए शासकीय पद का सृजन भी इंदिरा और तेजी बच्चन की बेस्ट फ्रेंडशिप का ही परिणाम था, इस प्रकार देखा जाय तो गाँधी-बच्चन की फ्रेंडशिप बहुत पुरानी है....तिस मारखां लोग यह भी कहते है कि राजीव की डेशिंग और ग्रैंड पर्सनालिटी देखकर स्वर्गीय महमूद ने उनको “बॉम्बे टू गोवा” फिल्म ऑफर की थी, जिसे नेहरु-गाँधी परिवार के इस वारिस ने नम्रतापूर्वक इनकार कर दिया और अपनी जगह अमित को फिल्म साईन करने को कहा,जिससे सदी के महानायक का जन्म हुआ, शहंशाह जब कुली फिल्म में घायल हुए तो इंदिरा जी प्रधानमंत्री पद की महिमा को छोड़कर उनको मिलने हॉस्पिटल गई, पर एक बात ऐसी है जो इस दिल को धक्का पहुंचाती है, सूत्रों की माने तो इमरजेंसी के बाद जब मोरारजी शासन आया तो राजीव किसी काम से बॉम्बे आये...उन्होंने अमित से उनकी कार एयरपोर्ट पर रिसीव करने को कहा, लेकिन शासन के डर से उन्होंने अपनी कार नहीं पहुंचाई, इसमें कितना सच और कितना झूठ है ये तो उपरवाला ही जाने, लेकिन यह भी सत्य है कि 1984 में जब आयरन लेडी इंदिराजी की डेथ हुई तो उस समय राजीव के साथ अमित कंधे से कन्धा मिलाकर खड़े थे. उस समय माननीय अटलजी के सामने खुद राजीव अमित को लाए. 


सियाने लोग तो यह भी कहते है कि इस चुनावी दंगल में अटलजी जमानत भी बमुश्किल बची. इस दोस्ती में भूचाल तब आया जब हमारे एंग्री यंग मैन के ऊपर “”बोफ़ोर्स कमीशन” का दाग आया, उस समय गाँधी परिवार ने उनको कोई सपोर्ट नहीं किया,फिर हमारे बिग बी विदेशी कोर्ट से खुद की बेगुनाही का सबुत ले आये. कुछ राजनीतिज्ञ दबी जुबाँ से यह भी कहते है कि अमित ने राजीव के रिश्तों का फ़ायदा उठाकर किसी बड़े रसूखदार व्यापारी घराने को उस समय फ़ायदा दिलवाया, जिसका बड़ा कमीशन हमारे बिग बी को मिला, किन्तु वे इस बात को हमेशा ही झुठलाते रहे. अब इस फ्रेंडशिप में कौन सही कौन गलत....पर जीवन की इस ढलती सांझ में हमारे एंग्री मैन को कभी अपने चाइल्डहुड फ्रेंड की याद आएगी और क्या कभी वो सारी बाते बिसारकर अपने दिल के भीतर तहों में छिपे अपनी गहरी मित्रता को दुबारा खंगालकर, तमाम गिले-शिकवे बुलाकर अपने उस मित्र को भी ट्विटर पर एक चिट्ठी लिखेंगे? #अद्भूताश्चर्य  

क्या आप जानते है अमित-राजीव की दोस्ती की यह सच्चाई?


दोस्त शब्द जैसी ही हम जुबाँ पर लाते है “ये दोस्ती हम तोड़ेंगे...या बने चाहे दुश्मन ये सारा ज़माना,सलामत रहे दोस्ताना हमारा” ये गाने लबों पर आते है. दोस्ती खुदा की दी हुई एक इनायत है, जो दिल के तारों से जुडी है,एक इबादत है. चोट किसी को लगती है तो, दर्द किसी को होता है. दोस्त वो हमसाया है जो हमेशा हमारे साथ चलता है. दोस्तों आज हम ऐसी ही भूली बिसरी दोस्ती की बात कर रहे है....द लीजेंड बिग बी अमिताभ बच्चन की दोस्ती. 


आप सोच रहे होंगे कि अमिताभ बच्चन का दोस्त कौन, अमरसिंह या हमारे देश के PM मोदी, जिनके गुणगान करने में वो ...”अदभुत आश्चर्य” कहते हुए कभी थकते नहीं, नहीं जनाब हम बात कर रहे है भारतीय राजनीति के महानायक राजीव गाँधी की ! कभी अमित के लंगोटिया यार रहे राजीव सातवें आसमान पर बैठकर ये गाना तो नहीं गुनगुना रहे है...”मेरे दोस्त किस्सा ये क्या हो गया, सुना है कि तू बेवफा हो गया”. 


हमारे बिग बी राजीव गाँधी के लंगोटिया यार रह चुके है.... कहा तो यह भी जाता है कि उनके पिताजी महान कवि श्री हरिवंश राय बच्चन जी के लिए शासकीय पद का सृजन भी इंदिरा और तेजी बच्चन की बेस्ट फ्रेंडशिप का ही परिणाम था, इस प्रकार देखा जाय तो गाँधी-बच्चन की फ्रेंडशिप बहुत पुरानी है....तिस मारखां लोग यह भी कहते है कि राजीव की डेशिंग और ग्रैंड पर्सनालिटी देखकर स्वर्गीय महमूद ने उनको “बॉम्बे टू गोवा” फिल्म ऑफर की थी, जिसे नेहरु-गाँधी परिवार के इस वारिस ने नम्रतापूर्वक इनकार कर दिया और अपनी जगह अमित को फिल्म साईन करने को कहा,जिससे सदी के महानायक का जन्म हुआ, शहंशाह जब कुली फिल्म में घायल हुए तो इंदिरा जी प्रधानमंत्री पद की महिमा को छोड़कर उनको मिलने हॉस्पिटल गई, पर एक बात ऐसी है जो इस दिल को धक्का पहुंचाती है, सूत्रों की माने तो इमरजेंसी के बाद जब मोरारजी शासन आया तो राजीव किसी काम से बॉम्बे आये...उन्होंने अमित से उनकी कार एयरपोर्ट पर रिसीव करने को कहा, लेकिन शासन के डर से उन्होंने अपनी कार नहीं पहुंचाई, इसमें कितना सच और कितना झूठ है ये तो उपरवाला ही जाने, लेकिन यह भी सत्य है कि 1984 में जब आयरन लेडी इंदिराजी की डेथ हुई तो उस समय राजीव के साथ अमित कंधे से कन्धा मिलाकर खड़े थे. उस समय माननीय अटलजी के सामने खुद राजीव अमित को लाए. 


सियाने लोग तो यह भी कहते है कि इस चुनावी दंगल में अटलजी जमानत भी बमुश्किल बची. इस दोस्ती में भूचाल तब आया जब हमारे एंग्री यंग मैन के ऊपर “”बोफ़ोर्स कमीशन” का दाग आया, उस समय गाँधी परिवार ने उनको कोई सपोर्ट नहीं किया,फिर हमारे बिग बी विदेशी कोर्ट से खुद की बेगुनाही का सबुत ले आये. कुछ राजनीतिज्ञ दबी जुबाँ से यह भी कहते है कि अमित ने राजीव के रिश्तों का फ़ायदा उठाकर किसी बड़े रसूखदार व्यापारी घराने को उस समय फ़ायदा दिलवाया, जिसका बड़ा कमीशन हमारे बिग बी को मिला, किन्तु वे इस बात को हमेशा ही झुठलाते रहे. अब इस फ्रेंडशिप में कौन सही कौन गलत....पर जीवन की इस ढलती सांझ में हमारे एंग्री मैन को कभी अपने चाइल्डहुड फ्रेंड की याद आएगी और क्या कभी वो सारी बाते बिसारकर अपने दिल के भीतर तहों में छिपे अपनी गहरी मित्रता को दुबारा खंगालकर, तमाम गिले-शिकवे बुलाकर अपने उस मित्र को भी ट्विटर पर एक चिट्ठी लिखेंगे? #अद्भूताश्चर्य  

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दोस्त शब्द जैसी ही हम जुबाँ पर लाते है “ये दोस्ती हम तोड़ेंगे...या बने चाहे दुश्मन ये सारा ज़माना,सलामत रहे दोस्ताना हमारा” ये गाने लबों पर आते है. दोस्ती खुदा की दी हुई एक इनायत है, जो दिल के तारों से जुडी है,एक इबादत है. चोट किसी को लगती है तो, दर्द किसी को होता है. दोस्त वो हमसाया है जो हमेशा हमारे साथ चलता है. दोस्तों आज हम ऐसी ही भूली बिसरी दोस्ती की बात कर रहे है....द लीजेंड बिग बी अमिताभ बच्चन की दोस्ती. 


आप सोच रहे होंगे कि अमिताभ बच्चन का दोस्त कौन, अमरसिंह या हमारे देश के PM मोदी, जिनके गुणगान करने में वो ...”अदभुत आश्चर्य” कहते हुए कभी थकते नहीं, नहीं जनाब हम बात कर रहे है भारतीय राजनीति के महानायक राजीव गाँधी की ! कभी अमित के लंगोटिया यार रहे राजीव सातवें आसमान पर बैठकर ये गाना तो नहीं गुनगुना रहे है...”मेरे दोस्त किस्सा ये क्या हो गया, सुना है कि तू बेवफा हो गया”. 


हमारे बिग बी राजीव गाँधी के लंगोटिया यार रह चुके है.... कहा तो यह भी जाता है कि उनके पिताजी महान कवि श्री हरिवंश राय बच्चन जी के लिए शासकीय पद का सृजन भी इंदिरा और तेजी बच्चन की बेस्ट फ्रेंडशिप का ही परिणाम था, इस प्रकार देखा जाय तो गाँधी-बच्चन की फ्रेंडशिप बहुत पुरानी है....तिस मारखां लोग यह भी कहते है कि राजीव की डेशिंग और ग्रैंड पर्सनालिटी देखकर स्वर्गीय महमूद ने उनको “बॉम्बे टू गोवा” फिल्म ऑफर की थी, जिसे नेहरु-गाँधी परिवार के इस वारिस ने नम्रतापूर्वक इनकार कर दिया और अपनी जगह अमित को फिल्म साईन करने को कहा,जिससे सदी के महानायक का जन्म हुआ, शहंशाह जब कुली फिल्म में घायल हुए तो इंदिरा जी प्रधानमंत्री पद की महिमा को छोड़कर उनको मिलने हॉस्पिटल गई, पर एक बात ऐसी है जो इस दिल को धक्का पहुंचाती है, सूत्रों की माने तो इमरजेंसी के बाद जब मोरारजी शासन आया तो राजीव किसी काम से बॉम्बे आये...उन्होंने अमित से उनकी कार एयरपोर्ट पर रिसीव करने को कहा, लेकिन शासन के डर से उन्होंने अपनी कार नहीं पहुंचाई, इसमें कितना सच और कितना झूठ है ये तो उपरवाला ही जाने, लेकिन यह भी सत्य है कि 1984 में जब आयरन लेडी इंदिराजी की डेथ हुई तो उस समय राजीव के साथ अमित कंधे से कन्धा मिलाकर खड़े थे. उस समय माननीय अटलजी के सामने खुद राजीव अमित को लाए. 


सियाने लोग तो यह भी कहते है कि इस चुनावी दंगल में अटलजी जमानत भी बमुश्किल बची. इस दोस्ती में भूचाल तब आया जब हमारे एंग्री यंग मैन के ऊपर “”बोफ़ोर्स कमीशन” का दाग आया, उस समय गाँधी परिवार ने उनको कोई सपोर्ट नहीं किया,फिर हमारे बिग बी विदेशी कोर्ट से खुद की बेगुनाही का सबुत ले आये. कुछ राजनीतिज्ञ दबी जुबाँ से यह भी कहते है कि अमित ने राजीव के रिश्तों का फ़ायदा उठाकर किसी बड़े रसूखदार व्यापारी घराने को उस समय फ़ायदा दिलवाया, जिसका बड़ा कमीशन हमारे बिग बी को मिला, किन्तु वे इस बात को हमेशा ही झुठलाते रहे. अब इस फ्रेंडशिप में कौन सही कौन गलत....पर जीवन की इस ढलती सांझ में हमारे एंग्री मैन को कभी अपने चाइल्डहुड फ्रेंड की याद आएगी और क्या कभी वो सारी बाते बिसारकर अपने दिल के भीतर तहों में छिपे अपनी गहरी मित्रता को दुबारा खंगालकर, तमाम गिले-शिकवे बुलाकर अपने उस मित्र को भी ट्विटर पर एक चिट्ठी लिखेंगे? #अद्भूताश्चर्य  

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दोस्त शब्द जैसी ही हम जुबाँ पर लाते है “ये दोस्ती हम तोड़ेंगे...या बने चाहे दुश्मन ये सारा ज़माना,सलामत रहे दोस्ताना हमारा” ये गाने लबों पर आते है. दोस्ती खुदा की दी हुई एक इनायत है, जो दिल के तारों से जुडी है,एक इबादत है. चोट किसी को लगती है तो, दर्द किसी को होता है. दोस्त वो हमसाया है जो हमेशा हमारे साथ चलता है. दोस्तों आज हम ऐसी ही भूली बिसरी दोस्ती की बात कर रहे है....द लीजेंड बिग बी अमिताभ बच्चन को दोस्ती. 

आप सोच रहे होंगे कि अमिताभ बच्चन का दोस्त कौन, अमरसिंह या हमारे देश के PM मोदी, जिनके गुणगान करने में वो ...”अदभुत आश्चर्य” कहते हुए कभी थकते नहीं, नहीं जनाब हम बात कर रहे है भारतीय राजनीति के महानायक राजीव गाँधी की ! कभी अमित के लंगोटिया यार रहे राजीव सातवें आसमान पर बैठकर ये गाना तो नहीं गुनगुना रहे है...”मेरे दोस्त किस्सा ये क्या हो गया, सुना है कि तू बेवफा हो गया”. 


हमारे बिग बी राजीव गाँधी के लंगोटिया यार रह चुके है.... कहा तो यह भी जाता है कि उनके पिताजी महान कवि श्री हरिवंश राय बच्चन जी के लिए शासकीय पद का सृजन भी इंदिरा और तेजी बच्चन की बेस्ट फ्रेंडशिप का ही परिणाम था, इस प्रकार देखा जाय तो गाँधी-बच्चन की फ्रेंडशिप बहुत पुरानी है....तिस मारखां लोग यह भी कहते है कि राजीव की डेशिंग और ग्रैंड पर्सनालिटी देखकर स्वर्गीय महमूद ने उनको “बॉम्बे टू गोवा” फिल्म ऑफर की थी, जिसे नेहरु-गाँधी परिवार के इस वारिस ने नम्रतापूर्वक इनकार कर दिया और अपनी जगह अमित को फिल्म साईन करने को कहा,जिससे सदी के महानायक का जन्म हुआ, शहंशाह जब कुली फिल्म में घायल हुए तो इंदिरा जी प्रधानमंत्री पद की महिमा को छोड़कर उनको मिलने हॉस्पिटल गई, पर एक बात ऐसी है जो इस दिल को धक्का पहुंचाती है, सूत्रों की माने तो इमरजेंसी के बाद जब मोरारजी शासन आया तो राजीव किसी काम से बॉम्बे आये...उन्होंने अमित से उनकी कार एयरपोर्ट पर रिसीव करने को कहा, लेकिन शासन के डर से उन्होंने अपनी कार नहीं पहुंचाई, इसमें कितना सच और कितना झूठ है ये तो उपरवाला ही जाने, लेकिन यह भी सत्य है कि 1984 में जब आयरन लेडी इंदिराजी की डेथ हुई तो उस समय राजीव के साथ अमित कंधे से कन्धा मिलाकर खड़े थे. उस समय माननीय अटलजी के सामने खुद राजीव अमित को लाए. 


सियाने लोग तो यह भी कहते है कि इस चुनावी दंगल में अटलजी जमानत भी बमुश्किल बची. इस दोस्ती में भूचाल तब आया जब हमारे एंग्री यंग मैन के ऊपर “”बोफ़ोर्स कमीशन” का दाग आया, उस समय गाँधी परिवार ने उनको कोई सपोर्ट नहीं किया,फिर हमारे बिग बी विदेशी कोर्ट से खुद की बेगुनाही का सबुत ले आये. कुछ राजनीतिज्ञ दबी जुबाँ से यह भी कहते है कि अमित ने राजीव के रिश्तों का फ़ायदा उठाकर किसी बड़े रसूखदार व्यापारी घराने को उस समय फ़ायदा दिलवाया, जिसका बड़ा कमीशन हमारे बिग बी को मिला, किन्तु वे इस बात को हमेशा ही झुठलाते रहे. अब इस फ्रेंडशिप में कौन सही कौन गलत....पर जीवन की इस ढलती सांझ में हमारे एंग्री मैन को कभी अपने चाइल्डहुड फ्रेंड की याद आएगी और क्या कभी वो सारी बाते बिसारकर अपने दिल के भीतर तहों में छिपे अपनी गहरी मित्रता को दुबारा खंगालकर, तमाम गिले-शिकवे बुलाकर अपने उस मित्र को भी ट्विटर पर एक चिट्ठी लिखेंगे? #अद्भूताश्चर्य  

Sunday 18 September 2016

फैसला आपका : देश में उन्नति या अवनति


सच्चाई छुप नहीं सकती बनावट के झूटे उसुलों से और खुशबु आ नहीं सकती कागज़ के फूलों से, अर्थ और अनर्थ में महज़ यही फ़ासला इस दौरे-जहाँ का अमिट कटु सत्य है | वर्तमान परिवेश में देश और देशवासियों का रुख किस दिशा की और है यह एक विकट प्रश्न है | 

ज्यादा गहराई में ना जाते हुए हम अपने देश की उन्नति और अवनति का विश्लेषण सतही स्तर पर करें तो पाते है कि हमारे चारों ओर सिर्फ बाबाजी का ठुल्लू ही विभिन्न प्रकार की गतिविधियों में मशरूफ है | आज देश में बलात्कार,गैंगरेप,आतंकवाद,चोरी-डकेती,लुट,सरेआम-क़त्ल,मारा-मारी,जघन्य हमले,राजनीति,कूटनीति,भ्रष्टनिति,छल-कपट,गबन,घपले-घोटाले और जाने क्या-क्या, जैसे मासूम नवजात बच्चों को पैदा करके फेंक देना या मंदिर-मस्जिद में छोड़ देना, झाड़ियों में फेंक देना, जिन्दा जमीन में गाड़ देना, चाइल्ड,गर्ल चाइल्ड, वीमेन पेट्रोलिंग, वेश्यावृत्ति,कालाबाजारी, इंसानों की खरीद-फरोक्त,फर्जीवाड़ा,माता-पिता का क़त्ल,धमकियों भरे फ़ोन कॉल्स,खुनी संघर्ष,न्याय-अन्याय के सालों चलने वाले अदालती मुकदमे,फिल्मो और टीवी प्रोग्राम्स में अश्लीलता,नए-नए धुम्रपान और नशे की नवयुवाओं में बड़ती लत या स्टाइल या फ़ेशन या कल्चर या कुछ और राम जाने क्या-क्या घटित हो रहा है ? 

कहीं महान लोगों को सम्मान और कहीं कमीने लोगों का अपमान सब कुछ इस अम्बर के निचे, कहीं हार तो कहीं जीत कहीं मैच फिक्सिंग तो कहीं लाइफ फिक्सिंग (सुपारी देना), खुनी रिश्तों में हेवानियत और वहशीपन, यह देश के हालात है या इंसान की दुर्दशा, संत-साधुओं के घिनोने कुकर्म और करोड़ों का खेल,अंधविश्वास या हकीकत राम जाने | मंदिर-मस्जिद,चर्च,गुरूद्वारे के वाद-विवाद, विविध धर्मों के साथ खिलवाड़ या धर्म ने खिलवाड़,पूरब-पश्चिम हो या उत्तर दक्षिण या हो मध्य प्रदेश हर दिशा से पीढ़ी दर पीढ़ी मानवता पर बस होती है बहस | 

मै बड़ा या तू बड़ा हर कोई जिद पर है अड़ा, कहीं,बाप बड़ा ना भय्या, सबसे बड़ा रुपय्या, कहीं मासूमों का कत्लेआम, तो कहीं नेताओं के बड्डे पार्टी में करोड़ों की धूमधाम,कोई अपने दुखों से दुखी तो कोई दूसरों के दुखों से दुखी और कोई तो दूसरों के सुखों-दुखों से सुखी-दुखी, आम,गरीब,मजबूर,दबी-कुचली जनता भूखी-भूखी और हर तरफ आज मानवता है झुकी-झुकी | कोई एक मुद्दा नहीं, अनगिनत मुद्दों से भरा पूरा जहान है | पार्लियामेंट में अफ़रातफ़री, कोई सोते हुए देश चला रहा है तो कोई देश को सुलाने में लगा हुआ है | 

Source - Anurag Shrivastav

कहीं मरीजों के अंगो की धांधली,कहीं डर्टी पॉलिटिक्स तो कहीं शिक्षा की आड़ में टीचर्स की काली करतूतें,कहीं टेक्सी ड्राइवर्स की अश्लील हरकतें, कहीं धर्म के नाम पर लुटी जा रही है इज्जतें, कैसे कमजोर-मिलावटी इमारतों तले दब कर मर रहा है इंसान, जैसे यह युग मिलावट का हो, दूध-तेल,घी,अनाज,विश्वास,प्रेम,भावना हर तरफ मिलावट खोरों का दौर है और क्या क्या हो रहा राम जाने | मुर्दे को मुक्ति नहीं मिलती,घरेलु हिंसा में पिसती जा रही नारी, क्यूँ आज नाबालिग बच्चियां झूले के बजाये फांसी के फंदे पर झूल रही है | 

पत्रकारिता में मिशन,कमीशन,मिशन-कम-कमीशन का झमेला समझ से परे है | योग्य के योग के ठिकाने नहीं और अयोग्य को शीर्ष पे बिठाकर नवाज़ा जा रहा है | यह मेरी व्यक्तिगत भावना नहीं अपितु सर्वस्व मानवजाति के लिए चिरस्मरणीय चिंता का विषय है, हम चाहते है इन सभी मुद्दों में से किसी एक मुद्दे पर ही सही आज का मानव थोड़ा गौर जरुर फरमाए,तो शायद इश्वर की बनाई इस अदभुत और अलौकिक श्रृष्टि का सही मायने में उद्देश्य पूर्ण हो जाएगा |

फैसला आपका : देश में उन्नति या अवनति


सच्चाई छुप नहीं सकती बनावट के झूटे उसुलों से और खुशबु आ नहीं सकती कागज़ के फूलों से, अर्थ और अनर्थ में महज़ यही फ़ासला इस दौरे-जहाँ का अमिट कटु सत्य है | वर्तमान परिवेश में देश और देशवासियों का रुख किस दिशा की और है यह एक विकट प्रश्न है | 

ज्यादा गहराई में ना जाते हुए हम अपने देश की उन्नति और अवनति का विश्लेषण सतही स्तर पर करें तो पाते है कि हमारे चारों ओर सिर्फ बाबाजी का ठुल्लू ही विभिन्न प्रकार की गतिविधियों में मशरूफ है | आज देश में बलात्कार,गैंगरेप,आतंकवाद,चोरी-डकेती,लुट,सरेआम-क़त्ल,मारा-मारी,जघन्य हमले,राजनीति,कूटनीति,भ्रष्टनिति,छल-कपट,गबन,घपले-घोटाले और जाने क्या-क्या, जैसे मासूम नवजात बच्चों को पैदा करके फेंक देना या मंदिर-मस्जिद में छोड़ देना, झाड़ियों में फेंक देना, जिन्दा जमीन में गाड़ देना, चाइल्ड,गर्ल चाइल्ड, वीमेन पेट्रोलिंग, वेश्यावृत्ति,कालाबाजारी, इंसानों की खरीद-फरोक्त,फर्जीवाड़ा,माता-पिता का क़त्ल,धमकियों भरे फ़ोन कॉल्स,खुनी संघर्ष,न्याय-अन्याय के सालों चलने वाले अदालती मुकदमे,फिल्मो और टीवी प्रोग्राम्स में अश्लीलता,नए-नए धुम्रपान और नशे की नवयुवाओं में बड़ती लत या स्टाइल या फ़ेशन या कल्चर या कुछ और राम जाने क्या-क्या घटित हो रहा है ? 

कहीं महान लोगों को सम्मान और कहीं कमीने लोगों का अपमान सब कुछ इस अम्बर के निचे, कहीं हार तो कहीं जीत कहीं मैच फिक्सिंग तो कहीं लाइफ फिक्सिंग (सुपारी देना), खुनी रिश्तों में हेवानियत और वहशीपन, यह देश के हालात है या इंसान की दुर्दशा, संत-साधुओं के घिनोने कुकर्म और करोड़ों का खेल,अंधविश्वास या हकीकत राम जाने | मंदिर-मस्जिद,चर्च,गुरूद्वारे के वाद-विवाद, विविध धर्मों के साथ खिलवाड़ या धर्म ने खिलवाड़,पूरब-पश्चिम हो या उत्तर दक्षिण या हो मध्य प्रदेश हर दिशा से पीढ़ी दर पीढ़ी मानवता पर बस होती है बहस | 

मै बड़ा या तू बड़ा हर कोई जिद पर है अड़ा, कहीं,बाप बड़ा ना भय्या, सबसे बड़ा रुपय्या, कहीं मासूमों का कत्लेआम, तो कहीं नेताओं के बड्डे पार्टी में करोड़ों की धूमधाम,कोई अपने दुखों से दुखी तो कोई दूसरों के दुखों से दुखी और कोई तो दूसरों के सुखों-दुखों से सुखी-दुखी, आम,गरीब,मजबूर,दबी-कुचली जनता भूखी-भूखी और हर तरफ आज मानवता है झुकी-झुकी | कोई एक मुद्दा नहीं, अनगिनत मुद्दों से भरा पूरा जहान है | पार्लियामेंट में अफ़रातफ़री, कोई सोते हुए देश चला रहा है तो कोई देश को सुलाने में लगा हुआ है | 

Source - Anurag Shrivastav

कहीं मरीजों के अंगो की धांधली,कहीं डर्टी पॉलिटिक्स तो कहीं शिक्षा की आड़ में टीचर्स की काली करतूतें,कहीं टेक्सी ड्राइवर्स की अश्लील हरकतें, कहीं धर्म के नाम पर लुटी जा रही है इज्जतें, कैसे कमजोर-मिलावटी इमारतों तले दब कर मर रहा है इंसान, जैसे यह युग मिलावट का हो, दूध-तेल,घी,अनाज,विश्वास,प्रेम,भावना हर तरफ मिलावट खोरों का दौर है और क्या क्या हो रहा राम जाने | मुर्दे को मुक्ति नहीं मिलती,घरेलु हिंसा में पिसती जा रही नारी, क्यूँ आज नाबालिग बच्चियां झूले के बजाये फांसी के फंदे पर झूल रही है | 

पत्रकारिता में मिशन,कमीशन,मिशन-कम-कमीशन का झमेला समझ से परे है | योग्य के योग के ठिकाने नहीं और अयोग्य को शीर्ष पे बिठाकर नवाज़ा जा रहा है | यह मेरी व्यक्तिगत भावना नहीं अपितु सर्वस्व मानवजाति के लिए चिरस्मरणीय चिंता का विषय है, हम चाहते है इन सभी मुद्दों में से किसी एक मुद्दे पर ही सही आज का मानव थोड़ा गौर जरुर फरमाए,तो शायद इश्वर की बनाई इस अदभुत और अलौकिक श्रृष्टि का सही मायने में उद्देश्य पूर्ण हो जाएगा |

फैसला आपका : देश में उन्नति या अवनति


सच्चाई छुप नहीं सकती बनावट के झूटे उसुलों से और खुशबु आ नहीं सकती कागज़ के फूलों से, अर्थ और अनर्थ में महज़ यही फ़ासला इस दौरे-जहाँ का अमिट कटु सत्य है | वर्तमान परिवेश में देश और देशवासियों का रुख किस दिशा की और है यह एक विकट प्रश्न है | 

ज्यादा गहराई में ना जाते हुए हम अपने देश की उन्नति और अवनति का विश्लेषण सतही स्तर पर करें तो पाते है कि हमारे चारों ओर सिर्फ बाबाजी का ठुल्लू ही विभिन्न प्रकार की गतिविधियों में मशरूफ है | आज देश में बलात्कार,गैंगरेप,आतंकवाद,चोरी-डकेती,लुट,सरेआम-क़त्ल,मारा-मारी,जघन्य हमले,राजनीति,कूटनीति,भ्रष्टनिति,छल-कपट,गबन,घपले-घोटाले और जाने क्या-क्या, जैसे मासूम नवजात बच्चों को पैदा करके फेंक देना या मंदिर-मस्जिद में छोड़ देना, झाड़ियों में फेंक देना, जिन्दा जमीन में गाड़ देना, चाइल्ड,गर्ल चाइल्ड, वीमेन पेट्रोलिंग, वेश्यावृत्ति,कालाबाजारी, इंसानों की खरीद-फरोक्त,फर्जीवाड़ा,माता-पिता का क़त्ल,धमकियों भरे फ़ोन कॉल्स,खुनी संघर्ष,न्याय-अन्याय के सालों चलने वाले अदालती मुकदमे,फिल्मो और टीवी प्रोग्राम्स में अश्लीलता,नए-नए धुम्रपान और नशे की नवयुवाओं में बड़ती लत या स्टाइल या फ़ेशन या कल्चर या कुछ और राम जाने क्या-क्या घटित हो रहा है ? 

कहीं महान लोगों को सम्मान और कहीं कमीने लोगों का अपमान सब कुछ इस अम्बर के निचे, कहीं हार तो कहीं जीत कहीं मैच फिक्सिंग तो कहीं लाइफ फिक्सिंग (सुपारी देना), खुनी रिश्तों में हेवानियत और वहशीपन, यह देश के हालात है या इंसान की दुर्दशा, संत-साधुओं के घिनोने कुकर्म और करोड़ों का खेल,अंधविश्वास या हकीकत राम जाने | मंदिर-मस्जिद,चर्च,गुरूद्वारे के वाद-विवाद, विविध धर्मों के साथ खिलवाड़ या धर्म ने खिलवाड़,पूरब-पश्चिम हो या उत्तर दक्षिण या हो मध्य प्रदेश हर दिशा से पीढ़ी दर पीढ़ी मानवता पर बस होती है बहस | 

मै बड़ा या तू बड़ा हर कोई जिद पर है अड़ा, कहीं,बाप बड़ा ना भय्या, सबसे बड़ा रुपय्या, कहीं मासूमों का कत्लेआम, तो कहीं नेताओं के बड्डे पार्टी में करोड़ों की धूमधाम,कोई अपने दुखों से दुखी तो कोई दूसरों के दुखों से दुखी और कोई तो दूसरों के सुखों-दुखों से सुखी-दुखी, आम,गरीब,मजबूर,दबी-कुचली जनता भूखी-भूखी और हर तरफ आज मानवता है झुकी-झुकी | कोई एक मुद्दा नहीं, अनगिनत मुद्दों से भरा पूरा जहान है | पार्लियामेंट में अफ़रातफ़री, कोई सोते हुए देश चला रहा है तो कोई देश को सुलाने में लगा हुआ है | 

Source - Anurag Shrivastav

कहीं मरीजों के अंगो की धांधली,कहीं डर्टी पॉलिटिक्स तो कहीं शिक्षा की आड़ में टीचर्स की काली करतूतें,कहीं टेक्सी ड्राइवर्स की अश्लील हरकतें, कहीं धर्म के नाम पर लुटी जा रही है इज्जतें, कैसे कमजोर-मिलावटी इमारतों तले दब कर मर रहा है इंसान, जैसे यह युग मिलावट का हो, दूध-तेल,घी,अनाज,विश्वास,प्रेम,भावना हर तरफ मिलावट खोरों का दौर है और क्या क्या हो रहा राम जाने | मुर्दे को मुक्ति नहीं मिलती,घरेलु हिंसा में पिसती जा रही नारी, क्यूँ आज नाबालिग बच्चियां झूले के बजाये फांसी के फंदे पर झूल रही है | 

पत्रकारिता में मिशन,कमीशन,मिशन-कम-कमीशन का झमेला समझ से परे है | योग्य के योग के ठिकाने नहीं और अयोग्य को शीर्ष पे बिठाकर नवाज़ा जा रहा है | यह मेरी व्यक्तिगत भावना नहीं अपितु सर्वस्व मानवजाति के लिए चिरस्मरणीय चिंता का विषय है, हम चाहते है इन सभी मुद्दों में से किसी एक मुद्दे पर ही सही आज का मानव थोड़ा गौर जरुर फरमाए,तो शायद इश्वर की बनाई इस अदभुत और अलौकिक श्रृष्टि का सही मायने में उद्देश्य पूर्ण हो जाएगा |
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