Thursday 5 January 2017

Om puri passed away this morning of friday


"जब एक करप्ट आदमी मरता है तो उसकी सत्ता ख़त्म होती है, लेकिन जब एक सच्चा आदमी मरता है तो उसकी सत्ता शुरू होती है"  

अगर आपने घायल वन्स अगेन फिल्म देखी होगी तो ओम पुरी जी का यह डायलोग जरुर सुना होगा.  आज बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता ओम पुरी का सुबह निधन हो गया. ओम पूरी के मृत्यु की वजह दिल का दौरा पड़ने से हुई है.बॉलीवुड ने एक ऐसा फनकार खो दिया जिसकी मिसाले दि जाती रहेंगी. ओम पूरी ने लगभग 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया हैं.उन्होंने बॉलीवुड के अलावा हॉलीवुड की फिल्मों में भी काम किया है.

ओम पुरी पद्मश्री पुरस्कार से भी नवाजे जा चुके हैं जो भारत के नागरिक पुरस्कारों के पदानुक्रम में चौथा पुरस्कार है. देश के PM नरेन्द्र मोदी ने भी दुःख जताया है. ओम साहब 2016 में  7 फिल्मों से जुड़े थे. आपको बता दे कि सलमान खान की इस साल रिलीज होने वाली फिल्म 'ट्यूबलाइट' में भी उनका एक रोल था. ओमपुरी 66 साल के थे और पिछले कई वर्षों से अभिनय के क्षेत्र में सक्रिय थे. ओम पुरी थिएटर की दुनिया का भी एक बड़ा नाम रहे हैं. ओम पुरी का जन्म 18 अक्टूबर 1950 में अम्बाला में हुआ था.

उनकी इस अचानक मौत पर बॉलीवुड के डायरेक्टर डेविड धवन ने कहा कि यह दुखद है और सभी सदमे में हैं. उन्हें कभी वो सम्मान नहीं मिला जिसके वो हकदार हैं. वह कई यादगार किरदार निभा चुके हैं. अपने जमाने की मशहूर एक्ट्रेस शबाना आजमी ने कहा - उनके घर जा रही हूं और ये दुखद है. कई साल की दोस्ती है और ओम पुरी का यूं अचानक चले जाना बहुत चुभ रहा है. मैं अभी कुछ कहने की स्थिति में नहीं हूं. एक साल से उनसे बस फोन पर ही बातचीत होती थी. अभी उनके घर जा रही हूं.
ओम पूरी जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने ननिहाल पंजाब के पटियाला से पूरी की थी. 

सन 1976 में पुणे फिल्म संस्थान से शिक्षा प्राप्त करने के बाद ओमपुरी ने लगभग डेढ़ वर्ष तक अभिनय पढ़ाया. उन्होंने अपने निजी थिएटर ग्रुप 'मजमा' की भी स्थापना की.आपको यह भी बता दे कि ओम पुरी ने अपने फिल्मी सफर की शुरुआत मराठी नाटक पर आधारित फिल्म 'घासीराम कोतवाल' से की थी. उनकी 1980 में आई 'आक्रोश' ओम पुरी के सिने करियर की पहली हिट फिल्म साबित थी.पिछले साल देश में हुए आतंकी हमले के मामले में कमेंट देकर वह काफी विवादों में घि‍र गए थे. 
#ompuri


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Om puri passed away this morning of friday


"जब एक करप्ट आदमी मरता है तो उसकी सत्ता ख़त्म होती है, लेकिन जब एक सच्चा आदमी मरता है तो उसकी सत्ता शुरू होती है"  

अगर आपने घायल वन्स अगेन फिल्म देखी होगी तो ओम पुरी जी का यह डायलोग जरुर सुना होगा.  आज बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता ओम पुरी का सुबह निधन हो गया. ओम पूरी के मृत्यु की वजह दिल का दौरा पड़ने से हुई है.बॉलीवुड ने एक ऐसा फनकार खो दिया जिसकी मिसाले दि जाती रहेंगी. ओम पूरी ने लगभग 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया हैं.उन्होंने बॉलीवुड के अलावा हॉलीवुड की फिल्मों में भी काम किया है.

ओम पुरी पद्मश्री पुरस्कार से भी नवाजे जा चुके हैं जो भारत के नागरिक पुरस्कारों के पदानुक्रम में चौथा पुरस्कार है. देश के PM नरेन्द्र मोदी ने भी दुःख जताया है. ओम साहब 2016 में  7 फिल्मों से जुड़े थे. आपको बता दे कि सलमान खान की इस साल रिलीज होने वाली फिल्म 'ट्यूबलाइट' में भी उनका एक रोल था. ओमपुरी 66 साल के थे और पिछले कई वर्षों से अभिनय के क्षेत्र में सक्रिय थे. ओम पुरी थिएटर की दुनिया का भी एक बड़ा नाम रहे हैं. ओम पुरी का जन्म 18 अक्टूबर 1950 में अम्बाला में हुआ था.

उनकी इस अचानक मौत पर बॉलीवुड के डायरेक्टर डेविड धवन ने कहा कि यह दुखद है और सभी सदमे में हैं. उन्हें कभी वो सम्मान नहीं मिला जिसके वो हकदार हैं. वह कई यादगार किरदार निभा चुके हैं. अपने जमाने की मशहूर एक्ट्रेस शबाना आजमी ने कहा - उनके घर जा रही हूं और ये दुखद है. कई साल की दोस्ती है और ओम पुरी का यूं अचानक चले जाना बहुत चुभ रहा है. मैं अभी कुछ कहने की स्थिति में नहीं हूं. एक साल से उनसे बस फोन पर ही बातचीत होती थी. अभी उनके घर जा रही हूं.
ओम पूरी जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने ननिहाल पंजाब के पटियाला से पूरी की थी. 

सन 1976 में पुणे फिल्म संस्थान से शिक्षा प्राप्त करने के बाद ओमपुरी ने लगभग डेढ़ वर्ष तक अभिनय पढ़ाया. उन्होंने अपने निजी थिएटर ग्रुप 'मजमा' की भी स्थापना की.आपको यह भी बता दे कि ओम पुरी ने अपने फिल्मी सफर की शुरुआत मराठी नाटक पर आधारित फिल्म 'घासीराम कोतवाल' से की थी. उनकी 1980 में आई 'आक्रोश' ओम पुरी के सिने करियर की पहली हिट फिल्म साबित थी.पिछले साल देश में हुए आतंकी हमले के मामले में कमेंट देकर वह काफी विवादों में घि‍र गए थे. 
#ompuri


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Monday 2 January 2017

104 साल बाद खुला यह राज,बर्फ से टकराने के कारण नहीं डूबा था टाइटैनिक


मशहूर जहाज टाइटैनिक के बारे में तो आपने सुना ही होगा. इस पर हॉलीवुड में फिल्म भी बनी है, जो कि काफी लोकप्रिय रही. अभी तक सभी यहीं सोचते थे कि टाइटैनिक जहाज बर्फ के पहाड़ से टकराने के कारण डूबा था, लेकिन हाल ही में शोधकर्ताओं ने इस मामले में नया खुलासा करते हुए बताया है कि डूबने से पहले टाइटैनिक में आग लगी थी, जिसके कारण यह काफी कमजोर हो गया था.

खबर के अनुसार टाइटैनिक बनाने वाली कंपनी के अध्यक्ष जे. ब्रूस ने जहाज पर सवार अधिकारियों को निर्देश दिया था कि इस आग के बारे में यात्रियों को कुछ ना बताएं. गौरतलब है कि टाइटैनिक अप्रैल 1912 में न्यूयॉर्क के लिए रवाना हुआ, लेकिन रास्ते में ही अटलांटिक महासागर में डूब गया था. इस हादसे में 1500 से ज्यादा यात्रियों की इस हादसे में मौत हो गई थी.


हादसे को लेकर 100 साल से भी ज्यादा समय बाद खुलासा करते हुए शोधकर्ताओं ने कहा है कि टाइटैनिक में लगभग तीन हफ़्तों तक आग लगी रही, लेकिन इस दौरान किसी ने उस पर ध्यान नहीं दिया. आग के कारण जहाज का वह हिस्सा काफी कमजोर हो गया था और जब वह हिस्सा बर्फ के पहाड़ से टकराया तो टूट गया. शोधकर्ताओं ने आग लगने के कारण पतवार के दाहिनी ओर 30 फुट लंबे काले निशान देखे है. शोधकर्ताओं के अनुसार यह काले निशान आग के कारण ही बने है. शोधकर्ताओं के अनुसार अब तक सामने आ रही चीजों के अनुसार यह हादसा आग, बर्फ और आपराधिक लापरवाही के कारण हुआ.

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104 साल बाद खुला यह राज,बर्फ से टकराने के कारण नहीं डूबा था टाइटैनिक


मशहूर जहाज टाइटैनिक के बारे में तो आपने सुना ही होगा. इस पर हॉलीवुड में फिल्म भी बनी है, जो कि काफी लोकप्रिय रही. अभी तक सभी यहीं सोचते थे कि टाइटैनिक जहाज बर्फ के पहाड़ से टकराने के कारण डूबा था, लेकिन हाल ही में शोधकर्ताओं ने इस मामले में नया खुलासा करते हुए बताया है कि डूबने से पहले टाइटैनिक में आग लगी थी, जिसके कारण यह काफी कमजोर हो गया था.

खबर के अनुसार टाइटैनिक बनाने वाली कंपनी के अध्यक्ष जे. ब्रूस ने जहाज पर सवार अधिकारियों को निर्देश दिया था कि इस आग के बारे में यात्रियों को कुछ ना बताएं. गौरतलब है कि टाइटैनिक अप्रैल 1912 में न्यूयॉर्क के लिए रवाना हुआ, लेकिन रास्ते में ही अटलांटिक महासागर में डूब गया था. इस हादसे में 1500 से ज्यादा यात्रियों की इस हादसे में मौत हो गई थी.


हादसे को लेकर 100 साल से भी ज्यादा समय बाद खुलासा करते हुए शोधकर्ताओं ने कहा है कि टाइटैनिक में लगभग तीन हफ़्तों तक आग लगी रही, लेकिन इस दौरान किसी ने उस पर ध्यान नहीं दिया. आग के कारण जहाज का वह हिस्सा काफी कमजोर हो गया था और जब वह हिस्सा बर्फ के पहाड़ से टकराया तो टूट गया. शोधकर्ताओं ने आग लगने के कारण पतवार के दाहिनी ओर 30 फुट लंबे काले निशान देखे है. शोधकर्ताओं के अनुसार यह काले निशान आग के कारण ही बने है. शोधकर्ताओं के अनुसार अब तक सामने आ रही चीजों के अनुसार यह हादसा आग, बर्फ और आपराधिक लापरवाही के कारण हुआ.

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खबर के अनुसार टाइटैनिक बनाने वाली कंपनी के अध्यक्ष जे. ब्रूस ने जहाज पर सवार अधिकारियों को निर्देश दिया था कि इस आग के बारे में यात्रियों को कुछ ना बताएं. गौरतलब है कि टाइटैनिक अप्रैल 1912 में न्यूयॉर्क के लिए रवाना हुआ, लेकिन रास्ते में ही अटलांटिक महासागर में डूब गया था. इस हादसे में 1500 से ज्यादा यात्रियों की इस हादसे में मौत हो गई थी. हादसे को लेकर 100 साल से भी ज्यादा समय बाद खुलासा करते हुए शोधकर्ताओं ने कहा है कि टाइटैनिक में लगभग तीन हफ़्तों तक आग लगी रही, लेकिन इस दौरान किसी ने उस पर ध्यान नहीं दिया. आग के कारण जहाज का वह हिस्सा काफी कमजोर हो गया था और जब वह हिस्सा बर्फ के पहाड़ से टकराया तो टूट गया. शोधकर्ताओं ने आग लगने के कारण पतवार के दाहिनी ओर 30 फुट लंबे काले निशान देखे है. शोधकर्ताओं के अनुसार यह काले निशान आग के कारण ही बने है. शोधकर्ताओं के अनुसार अब तक सामने आ रही चीजों के अनुसार यह हादसा आग, बर्फ और आपराधिक लापरवाही के कारण हुआ.
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