Tuesday, 17 April 2012

सोचने का अंदाज़ बदलो,,,,

सोचने का अंदाज़ बदलो,,,,
दुनिया बदल जायेगी,,,,,
शुलों को गुलों में बदलते चलो ,,,,,,
मंजिल खुद दोड़ी चली आएगी ,,,,,,
दुश्मन को भी दोस्त बनाते चलो ,,,,,
दोस्ती की मिसाल बड़ जायेगी .,,,,,
सोचने का अंदाज़ बदलो,,,,
दुनिया बदल जायेगी,,,,,|
लहरों से दिल लगाते चलो ,,,
समंदर से पहचान बड़ जायेगी,,,,
आसमानों में ख़ुशी के दीप जलाते चलो ,,,,,,,
अंधेरों की घटा छट जायेगी ,,,,,,,
सोचने का अंदाज़ बदलो,,,,
दुनिया बदल जायेगी,,,,,|
गुरुओं की शरण में समाते चलो,,,,,,
ज्ञान की गंगा बड़ जायेगी,,,,,,,
माँ-बाप की सेवा करते चलो,,,,,,,,,
जन्नत नसीबों में छा जायेगी,,,,,,,,,
सोचने का अंदाज़ बदलो,,,,
दुनिया बदल जायेगी,,,,,|
बच्चों पे प्रेम लुटाते चलो,,,,,,,,
खुदा से रूबरू रूह हो जायेगी,,,,,,,
दिन-दुखियों का दर्द मिटाते चलो,,,,,,
दुवाओं से झोली भर जायेगी,,,,,,,,
सोचने का अंदाज़ बदलो,,,,
दुनिया बदल जायेगी,,,,,|
मीठा गीत कोई गाते चलो,,,,,,
गले की खराश मिट जायेगी,,,,,,,,
हर इम्तहान में आत्मविश्वास जगाते चलो ,,,,,,
मेहनत जरुर रंग लाएगी ,,,,,,
सोचने का अंदाज़ बदलो,,,,
दुनिया बदल जायेगी,,,,,|
निगाहों में ख्वाब कोई सजाते चलो ,,,,,,,
सुबह से मिलने हकीकत बेशक आएगी ,,,,,,,,
हर पल एक हाथ नया मिलाते चलो,,,,,
सारी कायनात आघोष में सिमट आएगी,,,,,,,
सोचने का अंदाज़ बदलो,,,,
दुनिया बदल जायेगी,,,,अरुण "अज्ञात"


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