Showing posts with label love bird. Show all posts
Showing posts with label love bird. Show all posts

Thursday, 21 April 2016

कातिल जवानी और भड़कते अरमान


Click Me For Wow Video

कश्मकश के इस दौर में,
जिंदगी की ख्वाइश कर ली |
तपते इस रेत के सेहरा में,
हमने इक छांव की गुजारिश कर ली |
तुम्हारे पहलू में आकर हमने,
फिर से,तुम्हे पाने की साज़िश कर ली |
इश्क के ज़र्रे जब से हमें लगे आजमाने,
हमने भी दिल्लगी की ख्वाइश कर ली |
तोड़ने के लिए गुलों का गुमान-ऐ-गुरुर,
शुलों से लहुलुहान होने की फरमाइश कर ली |
दीवानगी का सुरूर कुछ ऐसा छाया हम पर,
कि तमाम ज़िन्दगी राँझा-मजनू-सी लावारिस कर ली |

कातिल जवानी और भड़कते अरमान


Click Me For Wow Video

कश्मकश के इस दौर में,
जिंदगी की ख्वाइश कर ली |
तपते इस रेत के सेहरा में,
हमने इक छांव की गुजारिश कर ली |
तुम्हारे पहलू में आकर हमने,
फिर से,तुम्हे पाने की साज़िश कर ली |
इश्क के ज़र्रे जब से हमें लगे आजमाने,
हमने भी दिल्लगी की ख्वाइश कर ली |
तोड़ने के लिए गुलों का गुमान-ऐ-गुरुर,
शुलों से लहुलुहान होने की फरमाइश कर ली |
दीवानगी का सुरूर कुछ ऐसा छाया हम पर,
कि तमाम ज़िन्दगी राँझा-मजनू-सी लावारिस कर ली |

कातिल जवानी और भड़कते अरमान


Click Me For Wow Video

कश्मकश के इस दौर में,
जिंदगी की ख्वाइश कर ली |
तपते इस रेत के सेहरा में,
हमने इक छांव की गुजारिश कर ली |
तुम्हारे पहलू में आकर हमने,
फिर से,तुम्हे पाने की साज़िश कर ली |
इश्क के ज़र्रे जब से हमें लगे आजमाने,
हमने भी दिल्लगी की ख्वाइश कर ली |
तोड़ने के लिए गुलों का गुमान-ऐ-गुरुर,
शुलों से लहुलुहान होने की फरमाइश कर ली |
दीवानगी का सुरूर कुछ ऐसा छाया हम पर,
कि तमाम ज़िन्दगी राँझा-मजनू-सी लावारिस कर ली |

कातिल जवानी और भड़कते अरमान


Click Me For Wow Video

कश्मकश के इस दौर में,
जिंदगी की ख्वाइश कर ली |
तपते इस रेत के सेहरा में,
हमने इक छांव की गुजारिश कर ली |
तुम्हारे पहलू में आकर हमने,
फिर से,तुम्हे पाने की साज़िश कर ली |
इश्क के ज़र्रे जब से हमें लगे आजमाने,
हमने भी दिल्लगी की ख्वाइश कर ली |
तोड़ने के लिए गुलों का गुमान-ऐ-गुरुर,
शुलों से लहुलुहान होने की फरमाइश कर ली |
दीवानगी का सुरूर कुछ ऐसा छाया हम पर,
कि तमाम ज़िन्दगी राँझा-मजनू-सी लावारिस कर ली |

"कातिल जवानी और भड़कते अरमान"



कश्मकश के इस दौर में,
जिंदगी की ख्वाइश कर ली |
तपते इस रेत के सेहरा में,
हमने इक छांव की गुजारिश कर ली |
तुम्हारे पहलू में आकर हमने,
फिर से,तुम्हे पाने की साज़िश कर ली |
इश्क के ज़र्रे जब से हमें लगे आजमाने,
हमने भी दिल्लगी की ख्वाइश कर ली |
तोड़ने के लिए गुलों का गुमान-ऐ-गुरुर,
शुलों से लहुलुहान होने की फरमाइश कर ली |
दीवानगी का सुरूर कुछ ऐसा छाया हम पर,
कि तमाम ज़िन्दगी राँझा-मजनू-सी लावारिस कर ली |

loading...