खुदी से एक जंग का ऐलानहै ज़िन्दगी,
कदम दर कदम एक इम्तहानहै ज़िन्दगी.
चिलमन से बाहर झांकोतो जहानहै जिंदगी,
चार दिवारी में तन्हा शमशानहै ज़िन्दगी.
कभी भरी महफ़िल में सुनसान है ज़िन्दगी,
और कभी विरानो में जश्नों-जान है ज़िन्दगी.
किसी से फ़कत उम्मीदोंका अरमानहै ज़िन्दगी,
तो किसीसे फ़कतरुसवाई का फ़रमान है जिन्दगी.
कहीं चिरागोंके ग़र्दिशमें शशि-सी शान है ज़िन्दगी,
तो कहींपलकों पे करवट लेतीख़्वाबों की खान है ज़िन्दगी.
रब का एक अनौखाऔर अतुल्यवरदान है ज़िन्दगी,
जो भी है,जैसी भी है, मेरी पहचान है ज़िन्दगी....
No comments:
Post a Comment