उठो लल्लू
अब आँखे खोलो
दारू लाया
कुल्ला कर लो
बीती रात बहुत चड़ाई
तुमने की ना रत्ती भर पढाई
एक्ज़ाम का वक्त है भाई
खोलो पोथी पुस्तक
२-४ आखर पडलो साईं
टॉप तो मार ना पाओगे
चिट नहीं बनाई तो
पास भी नहीं हो पाओगे
होंश में आओ लल्लू
बंद करो अब बनना उल्लू
ओ ढर्रों पव्वों के गणपत
अच्छी नहीं सुट्टों की लत
फिर ना गिडगिडाना कि
तुमने बताया नहीं दोस्त,,,,,,,,,,
तुमने बताया नहीं दोस्त ,,,,,,,,,,,
{अरुण "आजकल अज्ञात"}
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