देखो फिर आँखोंमें नमी-सीछा गई है,
वो सूरत जोआँखों से ओझलहुई नहीं कभी,
वो यादें जो ख्यालोंसे दूर गईनहीं कभी,
आज वो चुपकेसे फिर ख़्वाबोंमें आ गईहै,
ऐ खुदा जोन चाहा मैंनेवही तुने मुझकोदिया,
जिसमे तुझको देखा मैंनेवही तुने छीनलिया,
शिकायत नहीं तुझसेये इल्तजा रहगई है,
जैसे जिन्दगी जहां अबथमी-सी रहगई है,
बस जिन्दगी में उसकीकमी-सी रहगई है,,,,,,,,Pancho
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